SIR Voter List Review पर राहुल गांधी का हमला: BLOs पर बढ़ते दबाव को बताया ‘थोपी गई तानाशाही’

Rahul Gandhi का आरोप: वोटर लिस्ट की SIR प्रक्रिया ने ‘देश को अराजकता में डाला’, BLOs पर बढ़ा काम का दबाव

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नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने चल रही वोटर लिस्ट की Special Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे “देश में अराजकता फैलाने वाली प्रक्रिया” बताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग द्वारा शुरू की गई यह समीक्षा न केवल अव्यवस्थित है, बल्कि इसे “थोपी जाने वाली तानाशाही” जैसा व्यवहार कहा जा सकता है।

उनका कहना है कि इस प्रक्रिया का सबसे अधिक प्रभाव Booth Level Officers (BLOs) पर पड़ा है, जो अत्यधिक कार्यभार और दबाव का सामना कर रहे हैं।


Special Intensive Revision (SIR) क्या है?

Special Intensive Revision वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से चुनाव आयोग:

  • वोटर लिस्ट अपडेट करता है
  • मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाता है
  • नए मतदाताओं के नाम जोड़ता है
  • त्रुटियों को सुधारता है

आमतौर पर यह नियमित प्रक्रिया है, लेकिन इस बार इसे कम समय में और अधिक दबाव के साथ लागू किया गया है, जिसके चलते विवाद बढ़ गया है।


Rahul Gandhi के आरोप क्या हैं?

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया और प्रेस बयानों में कहा है कि:

  • SIR प्रक्रिया को बिना उचित तैयारी और संसाधनों के लागू किया गया।
  • BLOs को असामान्य रूप से अधिक काम सौंपा गया है।
  • कई BLOs के स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है, और कुछ मामलों में हादसे या मौत की खबरें भी सामने आई हैं।
  • उन्होंने इसे “imposed tyranny” कहा, यानी “थोपी गई तानाशाही।”

उन्होंने यह भी कहा कि सरकार और आयोग को इस प्रक्रिया को मानवीय दृष्टिकोण से लागू करना चाहिए था।

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BLOs क्यों परेशान हैं?

BLOs के लिए मौजूदा SIR प्रक्रिया चुनौतीपूर्ण इसलिए बताई जा रही है:

  • घर-घर सर्वे की बड़ी जिम्मेदारी
  • कम समय में हजारों प्रविष्टियाँ अपडेट करने का दबाव
  • डाटा एंट्री सहित तकनीकी काम की अधिकता
  • कई क्षेत्रों में सुरक्षा और लंबी दूरी की समस्याएँ

कई राज्यों के BLO संगठनों ने भी काम के बोझ को लेकर चिंता जताई है।


चुनाव आयोग का रुख

चुनाव आयोग ने अभी तक राहुल गांधी के आरोपों पर औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है,
लेकिन आयोग का मानना है कि:

  • SIR जैसी प्रक्रियाएँ लोकतांत्रिक ढांचे की मजबूती के लिए आवश्यक हैं
  • इससे मतदान प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होती है
  • पुरानी और गलत प्रविष्टियों को हटाकर फर्जी मतदान को रोका जा सकता है

हालाँकि आयोग की ओर से BLOs के लिए समर्थन संसाधन बढ़ाने की संभावनाएँ खुली हैं।


राजनीतिक हलकों में बहस तेज

राहुल गांधी के बयान के बाद राजनीतिक पार्टियों के बीच बहस तेज हो गई है।
जहाँ विपक्ष SIR प्रक्रिया को जल्दबाज़ी और असंगठित बता रहा है,
वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि चुनाव सुधार समय की जरूरत हैं।

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